भारत में लाखों की संख्या में मंदिर हैं। हर मंदिर की अपनी अलग-अलग पौराणिक कथा व मान्यता है और बहुत से मंदिर अपने चमत्कार के कारण प्रसिद्ध हैं। इन चमत्कारों का रहस्य आज तक विज्ञान भी पता नहीं लगा पाया हैं। चलिए जानते हैं भारत के रहस्यमय मंदिर के चमत्कारों के बारे में….
तिरुपति बालाजी मंदिर तिरुमाला
यह मंदिर आंध्रप्रदेश के तिरुमाला में स्थित हैं। तिरूपति बालाजी को भगवान वैंकटेश और गोविंदा के नाम से जाना जाता हैं। ऐसा माना जाता हैं कि इस मंदिर की उत्पत्ति वैष्णव संप्रदाय ने की हैं। लोगों का मत यह है कि भगवान तिरूपति की मूर्ति पर जो बाल हैं वह असली हैं और बेहद ही मुलायम हैं। अगर आप मूर्ति पर कान लगाकर सुनते हैं तो आपको समुद्र की लहरें सुनाई देती हैं, जिसके कारण मूर्ति पर हमेशा नमी बनी रहती हैं।
काल भैरव मंदिर उज्जैन
यह मंदिर मध्यप्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर हैं। मंदिर में अनेक तरह के प्रसाद चढ़ाए जाते हैं परन्तु इस मंदिर में प्रसाद के रूप में शराब चढाई जाती हैं। इस मंदिर की विशेषता यह हैं कि जैसे मूर्ति के मुख पर शराब का प्याला लगाया जाता हैं तो वह प्याला खाली हो जाता हैं। विज्ञान भी इस रहस्य का पता नहीं लगा पाया हैं। भगवान कालभैरव को उज्जैन का सेनापति कहा जाता हैं।
. जगन्नाथ मंदिर पुरी उड़ीसा
यह मंदिर उड़ीसा राज्य के पूरी शहर में हैं। यहाँ भगवान कृष्णा की पूजा की जाती है। यह मंदिर हिन्दुओ के चार धाम में से एक धाम है। इस मंदिर के शिखर पर लगा झंडा हमेशा हवा के विपरीत दिशा में रहता हैं। मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी हैं, जिसे किसी भी स्थान से देखने पर वह हमेशा हमारे सामने ही दिखाई देता हैं। जगन्नाथ मंदिर के प्रसाद बनाने के लिए सात बर्तन एक दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं। प्रसाद लकड़ी जलाकर पकाया जाता हैं। परन्तु इस प्रक्रिया में सबसे ऊपर वाला बर्तन का प्रसाद पहले पकता हैं। मंदिर के गुंबज की छाया भी जमीन पर नहीं दिखती हैं। मंदिर के शिखर के आस-पास कोई पक्षी नहीं उड़ता है। यह सभी चमत्कार आज भी लोगो के लिए रहस्य बने हुए हैं।
मैहर माता का मंदिर जबलपुर
यह मंदिर मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में स्थित हैं। जब पुजारी जी शाम के समय आरती के बाद मंदिर के कपाट बंद कर नीचे आ जाते हैं तब भी मंदिर के अंदर से घंटी और पूजा की आवाज आती हैं। ऐसी मान्यता है की माता के भक्त आल्हा अभी भी यहाँ पूजा करने आते है। कई बार लोगो द्वारा इस रहस्य को जानने की कोशिश की गई लेकिन सिर्फ असफलता ही लोगो के हाथ आई हैं।
. ज्वाला देवी मंदिर कांगड़ा हिमाचल
यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित हैं। इस मंदिर में अनंत काल से ज्वाला जल रही हैं। यह मंदिर भारत में स्थित 51 शक्तिपीठ में से एक हैं. यहाँ पर माता सती की जीभ गिरी थी। मंदिर प्रांगण में “गोरख डिब्बी” नाम की जगह हैं, जो कि एक जल कुंड हैं। इस कुंड में गर्म खोलता हुआ पानी हैं, जबकि कुंद का पानी चूने पर ठंडा लगता हैं।
. कामाख्या मंदिर गुवाहाटी आसाम
यह मंदिर पूर्वोत्तर भारत गुवाहाटी में स्थित है। कामाख्या देवी का मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है. यह सबसे महत्वपूर्ण शक्तिपीठ है। ऐसी मान्यता हैं, जब माता सती ने देह त्याग किया था, उस वक़्त शिव जी उनके पार्थिव शरीर को लेकर भटक रहे थे। तभी देवी सती की योनि यहाँ पर गिरी थी। कहते हैं कि यहां हर किसी की कामना सिद्ध होती है इसीलिए इस मंदिर को कामाख्या मंदिर कहा जाता है।
इस मंदिर को तीन भागों में बांटा गया है। जिसके एक भाग में माता के दर्शन होते हैं वहां हर समय पत्थरों से पानी निकलता रहता है ऐसा कहा जाता है कि महीने में एक बार उन पत्थरों से खून निकलता है। खून निकलने की वजह क्या है, आज तक कोई पता नहीं लगा पाया है।
शारदा माता का मंदिर सतना
मध्यप्रदेश के सतना जिले से करीब 30 किलोमीटर दूर एक मैहर नाम का गांव है जहां पर शारदा माता का एक प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि जब यहां के दरवाजे रात में बंद होते हैं तो यहां पर घंटियों का बजना स्वतः ही चालू हो जाता है। इसके अलावा ऐसा कहा जाता है कि मां शारदा के भक्त आल्हा और उदल आज भी सुबह 4:00 बजे के पास सबसे पहले मंदिर में प्रवेश करते हैं और माता की पूजा अर्चना करते हैं। विशाल पर्वत पर आसीन मां शारदा का मंदिर भू तल से करीब 600 फीट की ऊंचाई पर है इस मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 1000 सीढ़ियों को चढ़ना पड़ता है। पूरे भारत में सतना शहर में स्थित मंदिर मां शारदा का अकेला मंदिर है।
करणी माता मंदिर बीकानेर
यह मंदिर राजस्थान के बीकानेर शहर से 30 किलोमीटर दूर देशनोक में स्थित है। करणी माता के मंदिर को चूहों वाला मंदिर भी कहा जाता है। इसके पीछे की वजह भी काफी दिलचस्प है। इस मंदिर में हर वक्त कई हजारों की संख्या में चूहे पाए जाते हैं। इनमें से अधिकांश काले चूहे होते हैं, पर कभी-कभी सफेद चूहे भी यहां दिखाई देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जिस भी व्यक्ति को यहां पर सफेद चूहे दिखाई देते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके अलावा सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह चूहे बिना किसी को नुकसान पहुंचाए यहां पर रहते हैं इन चूहों की संख्या इतनी ज्यादा है कि यहां पर कोई भी दर्शनार्थी अपने पैर उठाकर के नहीं चल सकता। यह चूहे मंदिर के बाहर नहीं पाए जाते।
विरुपाक्ष मंदिर हम्पी कर्नाटक
कर्नाटक के हम्पी में स्थित विरुपाक्ष मंदिर अपने आप में एक रहस्य है। कहते हैं कि इस मंदिर में कुछ ऐसे स्तंभ हैं, जिनसे संगीत निकलता है। इन्हें म्यूजिकल पिलर्स के नाम से जाना जाता है। इन स्तंभों के बारे में कहा जाता है कि एक बार अंग्रेजों ने यह जानने के लिए कि स्तंभों से संगीत कैसे निकलता है, उन्हें काट कर देखा, लेकिन अंदर का नजारा देख कर वो भी हैरान रह गए, क्योंकि अंदर तो कुछ था ही नहीं। स्तंभ बिल्कुल खोखला था।
लेपाक्षी मंदिर आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश में स्थित लेपाक्षी मंदिर वास्तुशिल्प का एक चमत्कार है। मंदिर परिसर में एक लटकता हुआ स्तंभ है, जो जमीन पर नहीं टिका है। इसके अलावा यहां एक ऐसा पत्थर भी है, जिसपर एक पदचिह्न है। इस पदचिह्न के बारे में कहा जाता है कि यह माता सीता का है। आश्चर्य करने वाली बात ये है कि यह पदचिह्न हमेशा गीला रहता है। इसे कितना भी सुखा दिया जाए, लेकिन इसमें फिर अपने आप पानी भर जाता है। यह अब तक रहस्य ही बना हुआ है कि आखिर इसमें पानी आता कहां से है।
-रानी रासलीला करते हैं। कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति रात में छिपकर राधा-कृष्ण की रास लीला को देखने की कोशिश करता है तो वह पागल हो जाता है व साथ ही उसकी आंखों की रोशनी चली जाती हैं।